विधानसभा में गूंजा पंडरिया शक्कर कारखाने का मुद्दा, विधायक भावना बोहरा ने किसानों के हित में उठाई आवाज

गन्ना किसानों को प्रोत्साहित करने और कारखाने के सुचारू संचालन के लिए रखी महत्वपूर्ण मांगें
रायपुर/कवर्धा। छत्तीसगढ़ विधानसभा में पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना, पंडरिया के सुचारू संचालन और गन्ना किसानों के हितों को लेकर सदन में जोरदार चर्चा की। उन्होंने किसानों को गन्ना बेचने के लिए प्रोत्साहित करने और कारखाने की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
ऋण और ब्याज के बोझ से दबा कारखाना
भावना बोहरा ने विधानसभा में बताया कि शक्कर कारखाने की स्थापना के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) द्वारा 81 करोड़ रुपये का ऋण 11.45% ब्याज दर पर दिया गया था। अब तक कारखाना 121.47 करोड़ रुपये ब्याज सहित चुका चुका है, लेकिन 17 करोड़ रुपये का मूलधन शेष है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासनकाल में इस ऋण की किश्त नहीं चुकाने के कारण कारखाने पर अतिरिक्त आर्थिक दंड बढ़ गया।
उन्होंने कहा कि पेराई सत्र 2024-25 के लिए किसानों से खरीदे गए गन्ने की राशि का भुगतान भी लंबित है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि कारखाने को ऋण और ब्याज में छूट दी जाए, तो इसका संचालन सुचारू रूप से किया जा सकता है।
किसानों को नहीं मिल रहा उचित मूल्य, निजी गुड़ प्लांट की ओर बढ़ा रुझान
विधायक बोहरा ने बताया कि किसानों को सरकार द्वारा 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाता है, लेकिन भुगतान में देरी होने से किसान 400-450 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर निजी जगरी/गुड़ प्लांट में गन्ना बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
उन्होंने किसानों की समस्या को गंभीर बताते हुए सरकार से गन्ना खरीदी दर बढ़ाने और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने की मांग की, ताकि किसान शक्कर कारखाने की ओर आकर्षित हों।
मुलासिस बिक्री में हो रहा घाटा
विधायक बोहरा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भोरमदेव शक्कर कारखाने और सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखाने के बीच 12,000 रुपये प्रति टन की तय दर पर मुलासिस (गन्ने के रस से निकलने वाला उप-उत्पाद) की बिक्री का अनुबंध कराया था।
जबकि, अम्बिकापुर शक्कर कारखाना निजी क्षेत्र में 13,000 रुपये प्रति टन की दर से निम्न ग्रेड (C हैवी) का मुलासिस बेच रहा है, वहीं पंडरिया शक्कर कारखाना उच्च गुणवत्ता वाला B हैवी ग्रेड मुलासिस केवल 12,000 रुपये प्रति टन में बेचने को मजबूर है।
वर्तमान बाजार दर के अनुसार, यदि इसे निजी क्षेत्र में 16,000 रुपये प्रति टन की दर से बेचा जाए, तो कारखाने को प्रति टन 4,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ हो सकता है। इस वर्ष कारखाने ने 9,995 मीट्रिक टन मुलासिस बेचा है, जिससे अनुमानित 4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
भावना बोहरा ने सदन में रखी प्रमुख मांगें
- गन्ना खरीद दर बढ़ाई जाए ताकि किसान कारखाने को गन्ना बेचने के लिए प्रोत्साहित हों।
- समय पर गन्ना किसानों को मूल राशि, बोनस और रिकवरी दर का भुगतान किया जाए ताकि वे निजी फैक्ट्रियों के बजाय शक्कर कारखाने की ओर आकर्षित हों।
- मुलासिस बिक्री के लिए खुले बाजार में अनुमति दी जाए ताकि हर वर्ष कारखाने को 4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो सके।
- कारखाने का 17 करोड़ रुपये का ऋण माफ किया जाए और 11.45% ब्याज दर को कम किया जाए।
- राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराई जाए ताकि कारखाना वित्तीय संकट से उबर सके।
- पंडरिया में गन्ना अनुसंधान केंद्र की स्थापना हो ताकि उच्च गुणवत्ता वाले गन्ने की किस्में विकसित कर रिकवरी दर को बढ़ाया जा सके।
नल जल योजना और असंगठित श्रमिकों के लिए भी उठाए सवाल
विधायक भावना बोहरा ने नल जल/स्थल जल योजनाओं, पेयजल व्यवस्था, हैंडपंप खनन, असंगठित कर्मकारों के प्रशिक्षण और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी सरकार से जवाब मांगा।
जल आपूर्ति पर प्रश्न
उन्होंने पूछा कि पंडरिया विधानसभा क्षेत्र में कितनी नल-जल योजनाएं संचालित हैं, कितनी अपूर्ण हैं और कितनी में शिकायतें आई हैं?
इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने जवाब दिया कि 303 नल जल योजनाएं और 28 स्थल जल योजनाएं संचालित हैं, जिनमें से 129 योजनाएं अभी भी प्रगतिरत हैं।
उन्होंने यह भी पूछा कि 2023-2025 के बीच कितने हैंडपंप खनन किए गए और कितने चालू हैं?
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि 195 गांवों में नलकूप खनन किया गया, जिनमें 146 सफल और 49 असफल रहे।
असंगठित श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण पर सवाल
भावना बोहरा ने पूछा कि 2023-24 और 2024-25 में असंगठित श्रमिकों को कुशल बनाने के लिए कितना प्रशिक्षण दिया गया?
इस पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने जवाब दिया कि कबीरधाम जिले में 25,179 निर्माण श्रमिकों का पंजीयन हुआ, लेकिन किसी भी श्रमिक को प्रशिक्षण नहीं दिया गया।
उन्होंने यह भी पूछा कि कबीरधाम जिले में सामुदायिक विकास योजनाओं के तहत कितनी राशि खर्च की गई?
मंत्री ने बताया कि 2024-25 में दो वृहद एवं मध्यम उद्योगों द्वारा सामुदायिक विकास के लिए 30.75 लाख रुपये व्यय किए गए।